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    कश्मीर में सैनिकों की मौत व कोरोना वॉरियर्स पर संकट के बीच शराब बिक्री को लेकर उद्वेलित में है छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी

    Kashmir, chhattisgarh civil society, khabargaliरायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी संयोजक डॉ कुलदीप सोलंकी ने आज बुलेटिन जारी कर जाहिर किया कि कश्मीर में कर्नल, मेजर व जवानों की मौत और देश में लगातार बढ़ रहे कोरोनावायरस केसेस एवं हेल्थकेयर वर्कर्स में बढ़ते संक्रमण के बीच केंद्र सरकार द्वारा शराब दुकानों को खोलने की अनुमति एवं उससे उपजी समस्याएं के मद्देनजर बहुत उद्वेलित तथा रोष में है । प्रस्तुत है बुलेटिन के मुख्य बिंदु :

    कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीदों को श्रद्धांजलि


    इस वक्त पूरा विश्व चाइनीस कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ रहा है किंतु पाकिस्तान नामक आतंकी संगठन विपत्ति के समय में भी आतंकवादी घटनाओं में लिप्त है एवं उसने अपनी छिछोरी हरकतें बढ़ा दी हैं। हंदवाड़ा नामक स्थान में हमारे कम से कम 8 जवान शहीद हुए जिनमें एक कर्नल भी शामिल थे। शुरुआती खबरों के अनुसार वहां के स्थानीय लोगों ने एक ट्रैप बिछाया, जिसमें उन्होंने खुद को अगवा घोषित किया एवं जब कर्नल आशुतोष शर्मा साहब, मेजर अनुज सूद एवं उनकी टीम छुड़ाने गई तो अत्यंत गुप्त तरीके से नागरिकों ने ही उनकी हत्या कर दी। पूरा देश उन सबको श्रद्धांजलि दे रहा है तथा हम सब भी ऐसा करके अपनी ड्यूटी निभा देंगे।

    एक कर्नल को बनाने में, एक मेजर को खड़ा करने में, एक डॉक्टर को तैयार करने में, एक इंस्पेक्टर को सिखाने में देश के कितने संसाधन लगते हैं और उनकी मृत्यु देश की कितनी हानि पहुंचाती है इस पर प्रशासन मौन रहता है, कोई कार्यवाही नहीं करता है, कोई संज्ञान नहीं लेता है और हम एक समाज के रूप में ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो इस हेतु प्रशासन पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाने में नाकामयाब रहे हैं। जम्मू कश्मीर में हर बार पिछले 75 साल से हमारे सैनिक अपने प्राण निछावर करते आए हैं। यह हम और कब तक देखते रहेंगे। यह सिलसिला कब खत्म होगा; वह दिन कब आएगा जब हम गर्व से कह सकेंगे कि पिछले 1 साल में एक भी सैनिक को अपनी जान व्यर्थ में नहीं गवानी पड़ी।

    शराब दुकानों से उपजी समस्याएं


    सरकार ने पूरे देश में शराब की बिक्री के लिए यकायक अनुमति दे दी है। जिसकी वजह से जगह-जगह हजारों लोगों की भीड़ सड़कों पर देखी गई। वे सारे लोग जो विगत 45 दिनों से अपने आपको घरों में कैद रखे हुए हैं तथा सरकार की हर आदेश का पालन कर रहे हैं; वे सब पहले तबलीगी मरकज की हरकतों से एवं अब शराब की दुकानें खुलने से अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने शराब दुकानें खोलने का निर्णय लिया जिसका दुष्परिणाम हम सब अगले एक माह में भोगेंगे। सरकार में लाखों प्रशासनिक अधिकारी हैं जो हर कार्य का विश्लेषण करते हैं किंतु यहां भी वही बात है कि प्रशासन के लिए हमारी जान एकदम सस्ती है। ऐसे में इस वैश्विक महामारी से कैसे जीतेगा इंडिया ?

    कोरोनावायरस के फ्रंटलाइन वॉरियर्स संकट में


    देश में कोरोना वायरस का संक्रमण अब उफान पर आ गया है और आज तक 587 चिकित्सा कर्मी इसकी चपेट में आ चुके हैं। दिल्ली में एक सिपाही की अचानक मृत्यु हो गई तथा वह कोरोना संक्रमित पाया गया उसकी उम्र मात्र 32 वर्ष थी। इसी प्रकार इंदौर में एक थाना इंचार्ज की मृत्यु हो गई जिनकी उम्र मात्र 39 वर्ष थी । इसी प्रकार मुंबई में एक चिकित्सक दंपत्ति जिनकी औसत आयु 35 वर्ष थी की मृत्यु हो गई है। कोरोनावायरस इंफेक्शन से एकदम जवान एवं फिट फ्रंटलाइन वॉरियर्स की भी मृत्यु हो रही है । यह रुझान केवल भारत में देखा जा रहा है एवं बहुत ही चिंताजनक है।

    उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर में मशहूर पीडियाट्रिशियन डॉ धीरज सिंह चंदेल ने अपने खुद के पैसे से कोरोना जांच कराई और उनकी जांच पॉजिटिव आने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके अस्पताल को सील कर दिया है, उन्हें क्वॉरेंटाइन कर दिया है एवं उन पर हत्या की कोशिश अर्थात धारा 307 के तहत केस दर्ज कर दिया है। हमारा यहां यह बताना आवश्यक है की डॉक्टर स्वयं पॉजिटिव हुआ है; अभी तक उनका कोई भी मरीज पॉजिटिव नहीं हुआ है किंतु सरकार एवं मीडिया द्वारा उन्हें दोषी ठहराया गया है और उन पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज कर दिया गया है।

    महाराष्ट्र सरकार का तुगलकी फरमान


    महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश पास कर समस्त प्राइवेट डॉक्टर को 15 दिन के लिए COVID ड्यूटी करना अनिवार्य कर दिया है। यहां हम यह बता देना आवश्यक समझते हैं की महाराष्ट्र में कुल करीब 15,000 कैसेस हैं एवं उनमें से करीब 3000 मरीजों को ही आईसीयू केयर की जरूरत पड़ेगी जबकि केवल मुंबई में सारे अस्पतालों में 10,000 से अधिक आईसीयू Beds उपलब्ध हैं किंतु इन बातों का संज्ञान ना लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर प्राइवेट डॉक्टर कोविड-19 ड्यूटी नहीं करेंगे तो उनका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया जाएगा। विभिन्न राज्यों में चिकित्सा कर्मियों के लिए कोई नियत गाइडलाइन 3 महीने में नहीं बन पाई है। महाराष्ट्र सरकार - समस्त डॉक्टरों को डंडे से हकाल रही है कि आप कोरना की ड्यूटी करो नहीं तो डॉक्टरी नहीं कर पाओगे जबकि अभी वहां ऐसी कोई भी आपदा नहीं है। इसके बजाय महाराष्ट्र शासन निवेदन कर सकता था की प्राइवेट सेक्टर के डॉक्टर भी कोरोना वायरस की लड़ाई में अपना सहयोग दें तथा यह आदेश दे सकता था किस समस्त प्राइवेट अस्पताल निश्चित चार्जेस लेकर मरीजों का इलाज कर सकते हैं। किंतु ऐसा ना करके महाराष्ट्र प्रशासन ने अपना अंग्रेजों वाला रूप दिखाने में ज्यादा विश्वास किया।

    पूरे विश्व में कोरोनावायरस का इलाज चार्जेबल है तो भारत में यह पूर्णतया फ्री क्यों होना चाहिए। क्या सरकार खुद पैसा कमाती है ? यह पैसा हमारा है और इसका सही उपयोग होना चाहिए। उपद्रवी, नकारात्मक सोच वाले मरीजों का इलाज फ्री में करके एवं उनके लिए चिकित्सा कर्मियों की जान खतरे में डालना पूर्णतया अनुचित है। यह दर्शाता है भारत की प्रशासनिक व्यवस्था में वारियर्स की जान की कोई कीमत नहीं है तथा प्रशासन मैं दूरगामी सोच एवं रणनीति की अत्यंत कमी है।

    शासन- प्रशासन से करने होंगे सवाल


    उक्त सारे मसले ऐसे हैं जिन्होंने समस्त देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है। इस विपत्ति की घड़ी में हम सरकार की आलोचना नहीं करना चाहते किंतु विश्लेषण करना भी आवश्यक है । उपरोक्त घटनाओं से साबित होता है की थाली, कटोरी, चम्मच बजाना; टॉर्च दिए जलाना केवल दिखावा था। हमारे यहां जिंदगी बहुत सस्ती है चाहे वह सैनिक की हो, पुलिस की हो अथवा चिकित्सा कर्मी की। संपूर्ण प्रशासन में घोर उदासीनता है और आम जनता भी श्रद्धांजलि देकर अपना फर्ज निभा देती है।

    अतः छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी का इस बुलेटिन के माध्यम से आप सबसे निवेदन है कि अब वक्त आ गया है कि हम समझे देश एवं राज्यों का शासन मोदीजी, योगीजी अथवा उद्धव ठाकरे नहीं चला रहे वे केवल चेहरा मात्र है। देश एवं सारे राज्यों को हमारे यहां की सर्वशक्तिशाली प्रशासनिक लॉबी चला रही है और इनकी कार्यप्रणाली सब जगह एक प्रकार की है। ये अब भी अंग्रेजों वाली मानसिकता से उबर नहीं पाए हैं और इनके लिए सैनिक या चिकित्सक की जान बहुत सस्ती है। अत: अब हमें अपनी व्यक्तिगत भूमिका में उपरोक्त सवाल शासन- प्रशासन से करने होंगे, बार-बार दौहराने होंगे और तब तक करते रहना है जब तक समस्त प्रशासन की सोच दुरुस्त ना हो जाए।

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